01 February, 2009

मैं मिला अंजानो से भी मुस्कुराकर ..............







मैं मिला अंजानो से भी मुस्कुराकर



खुश था मैं सभी का प्यार पाकर



अचानक युहीं मिल गया कोई अपना



जो था तो अलग पर लगा अच्छा मन को



फिर लगने लगा साथ मिल जाए गर वो



तो मंजिल की किसको ज़रा भी फिकर हो



पता था की दोनों सही जा रहें हैं



हिचक फिर भी मन में है घबरा रहे हैं



शमा कुछ ऐसा बदल सा गया है



प्यार दोनों के मन में यूँ ढल सा गया है



की बढ़ने लगे हैं कदम साथ अपने



हो गए साथ में, अलग थे जो सपने



चलो संग युहीं मेरे मुस्कुराकर



मैं हूँ खुश बहुत तेरा प्यार पाकर.












No comments:

Post a Comment