
अम्बेडकर अगर होते 
तो क्या पता हँसते की रोते 
पर एक बात जो बतानी है 
क्या आंबेडकर की जिन्दगी सिर्फ़
अल्पसंख्यकों की कहानी है 
चोक हैं , चौराहे हैं , है मैदान भी 
पार्क भी हैं गली भी और दूकान भी 
कॉलेज हैं , स्कूल हैं और है टाउनशिप 
और हैं कितने भत्ते और कितने फलोशिप 
अम्बेडकर जी आप कभी आए जो यहाँ 
देख लेंगे ख़ुद ही ये लुटी हुई जहाँ 
राजनीति हावी है आपके वजूद पर 
पेट में न रोटी हो तो क्या खाए पत्थर 
तुम तो बिराजमान संगेमरमर पर 
हम तो बुलाते तुम्हे एक बार आ जाओ 
जो लगी है आग उसको बुझा जाओ .
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