Ranjeet K Mishra
Abhivyakti (Expressions)
05 June, 2018
संचित ये पाप को , गंगा न धो पायेगा
अगर पेड़ नहीं होंगे
तो छाँव कहाँ होगा
शहर ही शहर होंगे
तो गाँव कहाँ होगा
तब विलाप करना भी काम न आएगा
संचित ये पाप को , गंगा न धो पायेगा
चेतावनी विधाता का , समझना जरूरी है
पर्यावरण संरक्षण ही अस्तित्व की धूरि है
No comments:
Post a Comment
Newer Post
Older Post
Home
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
Engineering enlightenment
सामूहिक निषेध
जब गिरती है कोई गगन चुम्बी इमारत तब साथ गिरते हैं आस पास के मकान भी और धुल चाटती है ऐसे में ईमानदारी की झोपड़ी इसे सामूहिक निषेध कहते हैं इसी...
संघर्ष नहीं जीवन संग हर्ष है
जीवन एक संघर्ष है मैंने सुना है अनेको के मुख से और इस दौड़ में इंसान दूर हो जाता है सुख से शेष रह जाता है तनाव और अस...
Engineering enlightenment
No comments:
Post a Comment