मुखर्जी जी के सम्मान के लिए मेरे मुख की अर्जी
प्रखर राष्ट्रवाद की परिकल्पना अधूरी है 
जब धर्म पंथ आरक्षण राजनीति की धुरी है 
क्या फर्क पड़ता है की दल कौन है, कौन दलपति 
योग्यता बने आधार संभव है तब ही सद्गति 
महिला  पुरुष दिव्यांग बचे बूढ़े या हो नौजवान 
समानता ही होगी इस महापुरुष को सच्चा सम्मान 
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