आसमान छूना है
बन के आन्जेनेय
और करना है स्वछंद विचरण
कब होगा जामवंत तुम्हारा आगमन
मुझे रावन की लंका भी जलानी है
और संजीवनी भी लानी है
पर अंदर की लंका अयोध्या कैसे बन पाएगी
और कैसे मृत चैतन्य संजीवनी के संपर्क में हो जायेगी जीवंत
मुझे तुम जैसा गुरु चाहिए जामवंत........
cool pose man
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