डुगडुगी मदारी बजायेगा 
बन्दर तो नाच दिखायेगा 
और इशारे समझ के वो 
लगाता रहेगा गुलाटी 
मदारी के हाँथ में लाठी 
रंगमंच पर हमभी तो बस 
कलाकार के भाँती हैं 
वो हाँथ सूत्रधार की है 
जो हमसे ये करवाती हैं 
पर एक दिन ऐसा आता है 
जब अंहकार छु लेती है 
तब सूत्रधार समझता है 
देता संकेत निरंतर है 
जीवन और मौत में तेरे
बस एक साँस का अन्तर है ..................
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