13 August, 2013

माँ

एक सुबह  मुझको युहीं
यादें पुरानी गुदगुदा गयी
बचपन के कुछ अनमोल क्षण
मानस पटल पर आ गयी
जैसे कोई एहसास
करता स्पर्श मेरा ह्रदय को
माँ का आँचल जिस तरह
हर लेता था कोई भय जो हो
जिनकी हाँथो को पकड़कर
उठाया था पहला कदम
माँ की उन हाँथो को
आज भी मेरा शत शत नमन
मैं तो हूँ विस्तार तेरा
हूँ तेरी अभिव्यक्ति जीवंत
हूँ मैं जो ,जैसा भी हूँ 
 कृपा जो तेरी रही  अनंत


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