05 August, 2013

अब नहीं कोई भी ग़म है, ना शिकायत है

अब नहीं कोई भी ग़म है, ना शिकायत है
बस एक प्रश्न है जो सदैव मुझे सताता है
इंसान इस दुनिया में क्यूँ आता है ?
वजह तो होगी कोई ,कोई तो कारण होगा
मेरा जो प्रश्न है क्या उसका भी निवारण होगा

जब ज्ञात हो की जीवन-मरन सच्चाई है
और ये सच है की एक दिन सभी को जाना है
निवाला छीन के मुख से असंख्य लोगों के
ये कौन से विकास का बहाना है

आंकड़े हैं विकास के , पर विकास नहीं
इंसान को इंसान पर बिश्वास नहीं
जवाब कोई नहीं चाहता देना है यहाँ
कहते बस हैं की
जादू की छड़ी मेरे भी तो पास नहीं

कार्ड कोई भी ´आधार´ या ´राशन´ वाली
कुछ भी बदला नहीं सिर्फ था भाषण खाली
निवाला छीना जंगल ज़मीन जल भी गया
आज़  गिरवी है और आने वाला कल भी गया
गया इतिहास , भविष्य डगमगाता है
ऐसे में कहाँ भारत निर्माण नज़र आता है













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