इतिहास गांधी नेहरु के परे
भी है इस देश में
कोई सपूत था यहाँ
वल्लभ भाई के भेष में
कहने को प्रजातंत्र है
सोंचो तो तानाशाही है
उनके हर एक फैसले में
अपनी ही तबाही है
अलगाववाद हावी है
राजनैतिक अवसरवाद है
प्रासंगिक आज भी
सरदार का प्रखर राष्ट्रवाद है
भी है इस देश में
कोई सपूत था यहाँ
वल्लभ भाई के भेष में
कहने को प्रजातंत्र है
सोंचो तो तानाशाही है
उनके हर एक फैसले में
अपनी ही तबाही है
अलगाववाद हावी है
राजनैतिक अवसरवाद है
प्रासंगिक आज भी
सरदार का प्रखर राष्ट्रवाद है
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