06 August, 2013

जोकर














अपना कहाँ है कोई , महफ़िल में अकेला मैं
मील का पत्थर या रस्ते का कोई ढेला मैं
क्या हूँ मैं मार्गदर्शक या नियति में बस ठोकर है
जीवन के इस सर्कस में एक ऐसा भी जोकर है
जो हँसता है हँसाने को, ताकि दुनिया मुस्कुराये
मन की जो व्यथा अंदर रहता है वो दबाये
संघर्ष की कहानी दफन किसी कोने में
सर्कस की सार्थकता जोकर के ही होने में
जाना कहाँ यहाँ से, मरना  यहाँ जीना है
हम सबकी जो कहानी बस  जोकर की दास्तान है

 


No comments:

Post a Comment

Engineering enlightenment