झुरियों के पीछे जो इंसान है
वो वाकई में संघर्षों की दास्ताँ है
आँखों में जीजिविषा
मन में बिस्वास
की आज भी बाकी है वात्सल्य
पुत्र प्यारा है चाहें कितना भी वो आवारा है
पलना दया पे ये नही गंवारा है
विस्वास के घरोंदे में रहना पसंद है
आज भी आजादी में ही आनंद है .............
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