झुरियों के पीछे जो इंसान है
वो वाकई में संघर्षों की दास्ताँ है
आँखों में जीजिविषा
मन में बिस्वास
की आज भी बाकी है वात्सल्य
पुत्र प्यारा है चाहें कितना भी वो आवारा है
पलना दया पे ये नही गंवारा है
विस्वास के घरोंदे में रहना पसंद है
आज भी आजादी में ही आनंद है .............
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
-
जब गिरती है कोई गगन चुम्बी इमारत तब साथ गिरते हैं आस पास के मकान भी और धुल चाटती है ऐसे में ईमानदारी की झोपड़ी इसे सामूहिक निषेध कहते हैं इसी...
-
जीवन एक संघर्ष है मैंने सुना है अनेको के मुख से और इस दौड़ में इंसान दूर हो जाता है सुख से शेष रह जाता है तनाव और अस...
-
जब भी अकेलापन आपको सताएगा परिवार ही उस समय पे काम आएगा रह जायेंगी उपलब्धियाँ दीवार पर टंगी जब मायाजाल आपको ठेंगा दिखायेगा...
No comments:
Post a Comment