मैं जाग गया लम्बी नींद से तुम कब जागोगे 
इस तरह कब तक चलेगा नंगा नाच तुम कब भागोगे 
इज्ज़त उतर गई है पर बेशर्मी तुमको विरासत में मिली है 
ऐठन मौजूद है शायद रस्सी अभी पुरी नही जली है 
किसी को इतना मत ललकारो भस्मासुर की
भगवान् को ख़ुद आना पड़े 
गर अंहकार के नाच में ख़ुद को भस्म करना है 
तो कोई रणनीति काम नही आयगी 
भस्म हो जाओगे गर गलती से भी हाथ सर पर जायेगी
वहां पे कोई मदद को नही आएगा 
और ये जो तेरे हिजडो का फौज है वो मात्र ताली ही बजायेगा .....
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