मेरी जिंदगी एक अधूरी कविता तो नही
एक संगीत है जिसमे निरंतर बहाव है
चट्टानों से टकराना और उनकी ललाट पर छाप
छोड़ जाना मेरा स्वभाव है
रास्ते बनते जाते हैं और मैं बढ़ता जाता हूँ आगे
सागर के विस्तार को पाने
अपना वजूद को सागर का हिस्सा बनाने
मेरे लिए रास्ते की समस्यायें अर्ध विराम है
साधन की पवित्रता मेरे मंजिल को देते नया आयाम हैं
मैं पथिक बन जीवन को गले लगता हूँ
पथरीले रास्ते को भी सुगमता से पार कर जाता हूँ
मेरे स्वाभाव में पूर्णविराम मरना है
मेरा एक मात्र लक्ष्य जीवन पथ पर आगे बढ़ना है..............
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