23 May, 2009

मेरे लिए रास्ते की समस्यायें अर्ध विराम है


मेरी जिंदगी एक अधूरी कविता तो नही

एक संगीत है जिसमे निरंतर बहाव है

चट्टानों से टकराना और उनकी ललाट पर छाप

छोड़ जाना मेरा स्वभाव है

रास्ते बनते जाते हैं और मैं बढ़ता जाता हूँ आगे

सागर के विस्तार को पाने

अपना वजूद को सागर का हिस्सा बनाने

मेरे लिए रास्ते की समस्यायें अर्ध विराम है

साधन की पवित्रता मेरे मंजिल को देते नया आयाम हैं

मैं पथिक बन जीवन को गले लगता हूँ

पथरीले रास्ते को भी सुगमता से पार कर जाता हूँ

मेरे स्वाभाव में पूर्णविराम मरना है

मेरा एक मात्र लक्ष्य जीवन पथ पर आगे बढ़ना है..............

No comments:

Post a Comment

Apna time aayega