माँ प्रेम त्याग ममत्व की प्रतिमूर्ति 
आँचल की सानिध्यता पर गर्व 
हर दिन ही तो है मात्री पर्व 
माँ मेरा नम्र निवेदन है 
हमेशा मुझे तुम्हारा प्यार मिलता रहे 
और तुम्हारे आर्शीवाद की जरूरत है 
तुम हो तो ही ये कायनात ख़ूबसूरत है 
मेरे संघर्ष में तुम्हारा ही सहारा है 
माँ मुझे तुम्हारा बेशर्त प्यार ही प्यारा है 
तुम्हारे संस्कारों का मैं प्रत्यक्ष प्रमाण हूँ 
दुनियादारी के झमेलों से जरा अनजान है 
मुझे बहरूपियों से बचनेका वरदान दो 
उसकी सत्ता के चमत्कारों का पहचान दो 
दो मुझे अपना प्यारा स्पर्श और गोद 
समाप्त हो ये भाग दौड़ और भौतिक सुख की अंधी खोज 
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