10 May, 2009

आँचल की सानिध्य पर गर्व


माँ प्रेम त्याग ममत्व की प्रतिमूर्ति

आँचल की सानिध्यता पर गर्व

हर दिन ही तो है मात्री पर्व

माँ मेरा नम्र निवेदन है

हमेशा मुझे तुम्हारा प्यार मिलता रहे

और तुम्हारे आर्शीवाद की जरूरत है

तुम हो तो ही ये कायनात ख़ूबसूरत है

मेरे संघर्ष में तुम्हारा ही सहारा है

माँ मुझे तुम्हारा बेशर्त प्यार ही प्यारा है

तुम्हारे संस्कारों का मैं प्रत्यक्ष प्रमाण हूँ

दुनियादारी के झमेलों से जरा अनजान है

मुझे बहरूपियों से बचनेका वरदान दो

उसकी सत्ता के चमत्कारों का पहचान दो

दो मुझे अपना प्यारा स्पर्श और गोद

समाप्त हो ये भाग दौड़ और भौतिक सुख की अंधी खोज

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