10 May, 2009

तुम्हारे प्रखर व्यक्तित्व को माँ साष्टांग प्रणाम............

माँ शब्द नही एक एहसास है
चिलचिलाती धुप में शीतलता का आभास है
माँ के क़दमों में दुनिया समायी है
चरण रज माँ की मैंने तिलक बनाई है
लगाया है मैंने उन्नत ललाट पे अपने
आर्शीवाद उसके और मेरे सपने
मिला मुझको सबकुछ माँ तुमको पाकर
जीवन की श्रोत तुम को नमन शीष झुकाकर
स्वीकार करो माँ मेरा मौन अभिनंदन
खुशबु ही देता जलता भी जो चंदन
शब्दों के परे अनुभूति , माँ तेरे अनेको आयाम
तुम्हारे प्रखर व्यक्तित्व को माँ साष्टांग प्रणाम............

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