माँ मेरे जीवन को फिर से संवार दो
डगमगा रही जो नैया उसको आधार दो
मैं क्यूँ जाऊँ किसी मन्दिर के द्वार पर
मुझको वही मेरे बचपन का प्यार दो
लगी चोट मुझको तो आंसू तुम्हारी थी
मेरी हर खुशी बस माँ तुमको तो प्यारी थी
आज माँ जो ये दुनिया का मेला है
बेटा तेरा यहाँ बिल्कुल अकेला है
आना होगा माँ तुमको फिर एक बार
ताकि जो अविरल गंगा प्यार की बहती है तुमसे
मेरे मन के कलुष को मिटा दे
मेरे जीवन में फिर से एक नया बहार लादे
तुम्हारे वजूद को कोटि कोटि प्रणाम
माँ तेरे कदमो में है मेरे चारो धाम .................
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