तुम आक्रोश का मोल क्या जानो 
ख़ुद तो एक कुंठित इंसान थे तमाचा आख़िर लगा न 
जिस तरह एक तिनके से गुब्बारा फट जाता है
उसी तरह तुम्हारा ये अहंकार फूटा है 
तुम इतना गिर जाओगे मेरे कल्पना के परे था 
और तुमने सिद्ध कर दिया की कुत्ते का पूँछ 
सीधा नहीं होता चंदन लगाने से 
बेहतर है उसे काट दो ताकि सवाल ही न रहे 
घृणा होती है तुम्हारे करतूतों से 
कैसे बचूंगा मैं तुम चाँद पागल कुत्तों से.....
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