
मुझे उड़ना है पंख पसार करना है बातें नभ से 
पर स्याह क्यूँ तेरा चेहरा ,देखे क्यूँ हतप्रभ से
मैंने सर का बोझ गिराया , थी बेचैनी उड़ने की 
बहुत हुआ घुट घुट के जीना समय गई कुढ़ने की 
मैं अपने फेफडों को चाहता हु बज्र बनाना 
पंखों को फैलाकर दूर गगन में उड़ जाना ..............
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