12 April, 2009

मुझे उड़ना है पंख पसार ....


मुझे उड़ना है पंख पसार करना है बातें नभ से

पर स्याह क्यूँ तेरा चेहरा ,देखे क्यूँ हतप्रभ से

मैंने सर का बोझ गिराया , थी बेचैनी उड़ने की

बहुत हुआ घुट घुट के जीना समय गई कुढ़ने की

मैं अपने फेफडों को चाहता हु बज्र बनाना

पंखों को फैलाकर दूर गगन में उड़ जाना ..............



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