हम साथ चले थे पर तुम बदल गए
रफ़्तार सब की एक तुम निकल गए 
फिर हुआ शुरू आरोप का सिलसिला 
रह गए अकेले तुम्हे कुछ नही मिला 
जो समझ रहे थे की जीत तेरी है 
उसमे भी मेरे यार बहुत हेरा फेरी है 
कभी गाय तो नही करती दूध का प्रचार 
गलती तुम्हारी थी पन्नी में उलझ गए 
अब कौन ये बताये की ग़लत कौन है 
अपने ही मायाजाल में तुम आप फंस गए 
जो साथ थे तेरे बने चेतना के चोर 
अहंकार की अग्नि में तुम झुलस गए 
है प्रार्थना मेरी दुसमन नही जग है 
सभी उसी के रूप कहाँ कोई अलग है 
मेरी येही दुआ तुम जाओ फिर जहाँ 
धरती गले लगाये और चूमे आसमान ....................
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