05 April, 2009

आंखों में जो नमी आई है .............


आँखों में जो नमी आई है

क्या कोई गम या खुशी लायी है

या अनायास ही दबी से कोई

एहसास मचल आई है

जब भी नम ये आँखें होती है

तब आँखों के परे मन की आँखें रोती हें

आज फिर रो रही है वही नयन

आज फिर क्यूँ मचल रहा ये मन

मुझे तो मन को ये समझाना है

की दुश्मन नहीं ज़माना है

की हर घटना तो आगे की तैयारी है

और चलना है जो मंजिल तुझे प्यारी है ............






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