13 April, 2009

आयोडेक्स मलिए और हमारे जीवन से सदा के लिए निकालिये....

मेरे कुछ खास दोस्त जब दुश्मन बन गए
मुझे नीचा दीखने के क्रम में बिल्कुल अड़ गए
एक तो कहता है मेरा होना ही कांस्पीरेसी है
दूसरा कहता है सब की ऐसी की तैसी है
दोनों सर से पावं तक झूठ और मक्कारी में सराबोर हैं
फिर भी उनकी एक ऊँगली उठी मेरे ओर है
मैं अब भी येही कहता हूँ मेरे तरफ़ तो मात्र एक ऊँगली है
बाकी चार तो तुम्हारे गलती को बतला रहे हैं
फिर भी आप लोग क्यूँ चिल्ला रहे हैं
चिल्लाने से न दाढी मूछें आती हैं न सर के बाल
दुनिया समझ चुकी है आपके सर पर सवार frustration का बैताल
दर्द बहुत होगा अभी इलाज जरूरी है डॉक्टर से मिलिए
आयोडेक्स मलिए और हमारे जीवन से सदा के लिए निकालिये....

No comments:

Post a Comment