05 April, 2009

घनी मुछों को मवाली वो बताते हैं




आज मुझे एक बात ये बताना है


की मूछें न हों तो पुरुषत्व पर सवाल


अनायास ही लोग उठाते हैं


और घनी मुछों को मवाली वो बताते हैं


ऐसे ही परेशान आत्मा से मुलाकात हो गई


मेरे वजूद पर उसकी कुंठा की बरसात हो गई


पता नहीं की कौन इसका दोषी है


मेरे विचार से ये उनके मन की मदहोशी है


जो नित नया कमेन्ट करते रहते हैं


लोग उनकी उदंडता को चुपचाप यु ही सहते हैं


पर पलट कर जो जवाब उनको दे देगा


वस्तुतः उनकी इज्ज़त तो वही लेले गा


अब समय उनका आने वाला है


चेहरा गोरा तो क्या मन मलिन कला है


बहुत बजाई लोगों की उसने


अब तो बस उसका बजने वाला है ......


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