31 March, 2009
जिसके ऊपर उसका हाथ होता है उसे ऊँगली नही करते .....
जब तुम्हारा frustration बढ़ता है ........
तुम पागल हो जाते हो
और फिर शुरू होता है तुम्हारे
अंहकार का नंगा नाच
कीचड़ उछालते हो दूसरो पे
क्युकी तुम्हारी सोंच संकीर्ण है
कभी कभी हिंसक हो जाते हो
वस्तुतः तुम समाज के मस्तक पर कलंक हो
जल्दी अपना बोरिया बिस्तर समेटो
और हमें चैन की साँस लेने दो
हाँ और अपने पालतू कुत्तों को भी साथ ले जाना
ये वो है जो ऐसे तो तलवा चाटते हैं
मौंका मिलने पे मालिक को ही काटते हैं ......
30 March, 2009
मेरे आंसू को तुम युहीं बह जाने दो
मेरे हांथों को उस मोड़ पे थामा तुमने ..............
29 March, 2009
आँखें जिन्दगी की दास्ताँ बयान करती हैं............
28 March, 2009
मैं बुड्ढा हो गया हूँ.......
हर साख पे बैठे उल्लू का
मैं एक मात्र रखवाला हूँ
सूरज से बचता रहा है जो
उसे सुबह दिखाने वाला हूँ
मालिक बनने का सौख जिन्हें
उनको एहसास कराना है
सबका मालिक बस एक ही है
पर तू इस से अनजाना है
चाभी की राजनीति तेरी
और घुटनों के बल चलते हो
जो मौत के साए में पलते
उनको तुम फिर क्यूँ क्षलते हो
तुम कितना भी कोशिश कर लो
फिर भी तो सुबह आएगी
एक दिन मेरे उल्लू सुन
तेरे आँखें चुन्धियाएंगी
तू जिसको रब है मान चुका
वो अंधियारे का रावण है
आँख खोल के देख जरा
ये सुबह कितना पावन है
घर में जो आग लगना है
आदर्श बेंच जब खाना है
जब झूठ ही मात्र सहारा है
जब बचा न कोई चारा है
जब रावण तुम पर हावी है
जब तेरे हाथ ही चाभी है
तो फिर क्या है अब करो मौज
तैयार करो उल्लू की फौज .......
धरम करोगे तो धक्का पाओगे
मैं जो चुप हूँ तो हंगामा कुछ बोलूं तो भी हंगामा ..............
27 March, 2009
तुम वो प्रकाश पुंज हो जो जल रहा अंदर .............
इस काल कोठरी में दीप कौन जलाएगा
तुम सबसे नीचे हो जाते हो
क्यूंकि इश्वर तो तुम हो नही
हो तुम भी उसीकी रचना
24 March, 2009
चुल्लू भर पानी में सुसएड करो .....................
मैं कुत्ता हूँ और कमीना भी
अव्यक्त को व्यक्त करना ही मेरे व्यक्तित्व का आधार ...........
22 March, 2009
आडम्बर की चादर ................
अनंतता का इन्हे भी हो पहचान
20 March, 2009
एक नाद सुनादे दिल मेरे ...............
17 March, 2009
GOD it was u I was not..........
05 March, 2009
मेरे जीवन में जो भी है वो मुझे प्यारा है ................
02 March, 2009
तुमने मुझे सीखना है सीखाया ...................
01 March, 2009
मेरी रचना मोहब्बत या तबाही की कहानी है ......................
कभी खामोश रहता हूँ कभी मैं गुनगुनाता हूँ
कभी खामोश रहता हूँ कभी मैं गुनगुनाता हूँ
भीड़ में अक्सर तनहा ख़ुद को मैं पाता हूँ
तेरा आना मेरे जीवन में है संगीत की तरह
तेरे आने की आहट से मैं हरदम मुस्कुराता हूँ
तू जो आयी है तो जीवन में खुशिया भी तो आयी है
तेरा यूँ फिर चले जाने से मैं घबरा सा जाता हूँ
प्यार तुमको भी है मुझसे मुझे एहसास है इसका
बताने से तो तुम मुझको क्यूँ इतना कतराती हो
मैं तेरा हूँ तू मेरी है येही सच है बताना है
तेरे संग ही तो अब मुझको अपना दुनिया बसाना है .......................
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जब गिरती है कोई गगन चुम्बी इमारत तब साथ गिरते हैं आस पास के मकान भी और धुल चाटती है ऐसे में ईमानदारी की झोपड़ी इसे सामूहिक निषेध कहते हैं इसी...
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जीवन एक संघर्ष है मैंने सुना है अनेको के मुख से और इस दौड़ में इंसान दूर हो जाता है सुख से शेष रह जाता है तनाव और अस...
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जब भी अकेलापन आपको सताएगा परिवार ही उस समय पे काम आएगा रह जायेंगी उपलब्धियाँ दीवार पर टंगी जब मायाजाल आपको ठेंगा दिखायेगा...