22 March, 2009

आडम्बर की चादर ................


सच काटती है , आडम्बर की चादर जरूरी है

पर सच के बिना हर कहानी अधूरी है

तो आप दुनिया से धोखा करते रहें

पर स्वयं को कैसे धोखा दे पाएंगे

हर झूठ के साथ कुंठा के सागर में गोता लगायेंगे

एक दिन येही कुंठा मजबूर करेगी

सच ही वस्तुतः आपके समस्याओं को दूर करेगी

तो ठोकर लगने से पहले आँखें खोल के चलिए

हमेश दीजिये सत्य का साथ

थामिए वफादारी का हाँथ

न बन जाईये गमले की बोंजाई

बनिए छायादार बरगद की दरक्त

सत्य की राह चलने का आ गया है उचित वक्त ...............

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