30 March, 2009

मेरे आंसू को तुम युहीं बह जाने दो




मेरे आंसू को तुम युहीं बह जाने दो


इनका है मोल क्या युहीं मुझे गवाने दो


मैं तो पत्थर हूँ येही सोंचता है तेरा दिल


अकेला हूँ मैं कैसी भीड़ कैसी ये महफिल
मौन भी कोई गूंज सूनी है तुमने


कहीं देखा है क्या कोई फूल जो पत्थर पे खिले


मेरे प्यार की अविरल नदी जो दिल से बही


तमन्ना मेरी जाकर कहीं सागर से मिले.................


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