मेरे आंसू को तुम युहीं बह जाने दो 
इनका है मोल क्या युहीं मुझे गवाने दो 
मैं तो पत्थर हूँ येही सोंचता है तेरा दिल 
अकेला हूँ मैं कैसी भीड़ कैसी ये महफिल 
 मौन भी कोई गूंज सूनी है तुमने 
कहीं देखा है क्या कोई फूल जो पत्थर पे खिले 
मेरे प्यार की अविरल नदी जो दिल से बही 
तमन्ना मेरी जाकर कहीं सागर से मिले.................
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