27 March, 2009

तुम वो प्रकाश पुंज हो जो जल रहा अंदर .............



मेरा जो अतीत है


वर्तमान उससे परिचित है


और मेरा जो वर्तमान है


वही भविष्य की दास्तान है


तो नित नई कहानी और नया संघर्ष


और विषाद के पल और बहुत ही हर्ष


जुड़ रही हर रोज कुछ पन्ने कहानी में


क्या रखा है पंडों के भविष्यवाणी में


क्या कोई अंगूठी या कोई माला


तिलक कोई की या कोई भष्म या भभूत


दे सका कहाँ कोई जीवन का है सबूत


बिस्वास जो तुम्हारे अंदर में है विधमान


उसका जरूरी है तुम्हे की हो सही पहचान


की लपट आग की हो या कोई बबंडर


तुम वो प्रकाश पुंज हो जो जल रहा अंदर


तुम अपनी विजयी गाथा अपने हाथ लिख रहे


उज्वल जो वर्तमान है भविष्य भी रहे ......................





No comments:

Post a Comment