24 March, 2009

मैं कुत्ता हूँ और कमीना भी



मैं कुत्ता हूँ और कमीना भी


और जिन्दगी के सर पर एक कलंक


ये तुम्हारा नजरिया है


मैं प्रतिकार नहीं करूँगा


क्यूंकि ये तुम्हारे frustration की चरम है


शायद तुम समझ सकते की


हर इंसान इश्वर की अनोखी अभिव्यक्ति है


और पाँचों ऊँगली से मुट्ठी बनती है


खैर छोड़ दो


अंहकार तो रावण का भी टुटा था


फिर तुम कौन


उसके लाठी में आवाज़ नहीं होती


सुना है मैंने


प्रार्थना मेरी भी जीजस की तरह है


क्रॉस पर लटका दोगे तब भी यही कहूँगा


माफ़ कर देना इश्वर पता नही इन्हे ये क्या कर रहे


इनके अंहकार को कर विलीन ये निरंतर मर रहे .

1 comment:

  1. References please:
    http://en.wikipedia.org/wiki/Nude_mouse
    http://users.rcn.com/jkimball.ma.ultranet/BiologyPages/N/NudeMouse.html
    http://www.vetmed.ucdavis.edu/Animal_Alternatives/cancer.htm
    http://blog.empas.com/hweonpyo/
    Thanks

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