मैं कुत्ता हूँ और कमीना भी
और जिन्दगी के सर पर एक कलंक
ये तुम्हारा नजरिया है
मैं प्रतिकार नहीं करूँगा
क्यूंकि ये तुम्हारे frustration की चरम है
शायद तुम समझ सकते की
हर इंसान इश्वर की अनोखी अभिव्यक्ति है
और पाँचों ऊँगली से मुट्ठी बनती है
खैर छोड़ दो
अंहकार तो रावण का भी टुटा था
फिर तुम कौन
उसके लाठी में आवाज़ नहीं होती
सुना है मैंने
प्रार्थना मेरी भी जीजस की तरह है
क्रॉस पर लटका दोगे तब भी यही कहूँगा
माफ़ कर देना इश्वर पता नही इन्हे ये क्या कर रहे
इनके अंहकार को कर विलीन ये निरंतर मर रहे .
References please:
ReplyDeletehttp://en.wikipedia.org/wiki/Nude_mouse
http://users.rcn.com/jkimball.ma.ultranet/BiologyPages/N/NudeMouse.html
http://www.vetmed.ucdavis.edu/Animal_Alternatives/cancer.htm
http://blog.empas.com/hweonpyo/
Thanks