
खुशियाँ में तो आँखें नम होती हैं 
गम होती है तो मन खून के आंसू रोता है 
चमक आजाती है आँखों में 
जब दिल में कुछ कुछ होता है 
आँखों से विस्वास भी झलकता है 
जब कोई ख्वाब साकार होने लगता है 
आँखें मदहोश भी हो जाती है 
जब कोई चेहरा दिल में जगह बनती है 
लोग कभी आँख भी दिखाते हैं 
जब वो क्रोध को काबू नहीं कर पातें हैं 
कुछ लोग आँख भी चुराते हैं 
ऐसे लोग चित से उतर जाते हैं 
कभी आंखों में चमक आती है 
जब कोई रौशनी दिख जाती है 
माँ के आंखों को मैं भी तारा हूँ 
पिता के आंखों में दुलारा हूँ 
जो समझ सका न मेरी भावों को 
उनके आँखों में मैं आवारा हूँ 
प्यार करती कोई मुझसे जो है 
उसके आँखों का मैं सहारा हूँ 
ये जो देखती है मेरी आँखें 
और ये जो एहसास करा जाती है 
शब्दों के घने जंगल में ये 
मौन संवाद सिखा जाती है 
इन आँखोंका उपकार इतना जादा है 
मौन में हूँ पर मेरा इनसे  वादा है की 
जो सपने इन आंखों ने संजोये हैं 
मेंने  चुन के महज वही बीज बोए हैं ....................
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