01 March, 2009

कभी खामोश रहता हूँ कभी मैं गुनगुनाता हूँ



कभी खामोश रहता हूँ कभी मैं गुनगुनाता हूँ


भीड़ में अक्सर तनहा ख़ुद को मैं पाता हूँ


तेरा आना मेरे जीवन में है संगीत की तरह


तेरे आने की आहट से मैं हरदम मुस्कुराता हूँ


तू जो आयी है तो जीवन में खुशिया भी तो आयी है


तेरा यूँ फिर चले जाने से मैं घबरा सा जाता हूँ


प्यार तुमको भी है मुझसे मुझे एहसास है इसका


बताने से तो तुम मुझको क्यूँ इतना कतराती हो


मैं तेरा हूँ तू मेरी है येही सच है बताना है


तेरे संग ही तो अब मुझको अपना दुनिया बसाना है .......................






4 comments:

  1. मेरी ख्‍वाहिश है आपको आपको पूरी कायनात मिल जाए,
    आप जिसे चाहें वह सौगात मिल जाए।
    और क्‍या रखा इस जालिम दुनिया में रजनीश भाई,
    आप जिंदगी में खूब आगे बढें आपको शोहरत अफरात मिल जाए।

    ReplyDelete
  2. सुंदर संवाद .............. सुंदर रचना।

    ReplyDelete
  3. जिसमें मधुमास नही आता,

    ऐसी वाटिका हमारी है।

    मेरी बगिया में आओ तो,

    खुशबू और साँस तुम्हारी है।


    कृपया, शब्द-पुष्टिकरण हटा दें,
    टिप्पणी करने में कष्ट होता है।

    ReplyDelete
  4. Apni Judai ka Sabab Kis kis ko bateyenge....
    Agar tu mujhse khapaha hai to zamane ke liye aaa...
    Kahte hai agar aap kissi ko dil se chaho to sari kaynat apko usse milane ki sazis me lag jati hai

    ReplyDelete

Apna time aayega