बेटा धरम करोगे तो धक्का पाओगे
इस जालिम युग में आदर्शों का क्या अचार लगाओगे
पापा हर बार येही कहतें हैं
क्या कोई गाली दे रहा है या कोई कर रहा अपमान है
तो जरूर बेटा आपने उसको हेल्प किया होगा ,
की होगी आउट ऑफ़ द वे मदद
इस लिए आज गालियों की बौछार ,बन बैठा तुम्हारा सरदर्द
हारना नही है, संस्कारों को गिरवी भी नही रखना है
ये रित दुनिया का अद्भुत और अंजना है
सच की जीत होने से पहले घुटन का तीक्ष्ण दर्द भी पाना है
तो कैसा अंहकार, मत पनपने दो इस कैक्टस को मन के मरुभूमि में
लगाओ बरगद के छायादार दरख्त
गाली सुनने का फिर आएगा मौसम फिर आएगा अपमानित होने का वक्त .................
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