कलम से निकली
या स्याही की जुबानी है
मेरी रचना मोहब्बत
या तबाही की कहानी है
जो दिल मिल जाते हैं फिर भी
मिलाती कुंडली दुनिया
प्यार उनके नज़र में
एक घटना आनी जानी है
ग़लत कोई नही फिर भी
नगरी में अँधेरा है
जो राजा राम थे अपने
कुंडली में उनके भी फेरा है
सभी गुन मिल गए फिर भी
कहाँ मिल पाया उनको सुख
सीता ने परीक्षा दी
जला संदेह में सब कुछ
क्या ऐसा हो नही सकता
की आधार प्यार हो
हर विवाह मुहब्बत की
महज एक विस्तार हो
मिले हर एक को आजादी
अपनी दुनिया बसाने की
जरूरत क्या है दिल मिलने
के बाद कुंडली मिलाने की ..................................
बहुत सुन्दर रचना बधाई
ReplyDeletevery true. agar kundli milane se hi pyar ya sukh milta to sab sukhi hi hote.
ReplyDeletebahut khoob