क्या फर्क पड़ता है
जब आंकड़ों में विकास जारी हो
और सामूहिक आत्महत्या की तैयारी हो
रोटी के लिए संघर्ष
पानी विष का प्याला
त्रासदी और महामारी
उसमे भी घोटाला
मौत तो सेक्युलर है
न टोपी देखेगी न ललाट पर चन्दन
बस अचानक ही टेटुआ दबाएगी
और उसी क्षण सांस थम जायेगी
आज शर्म से नतमस्तक
ईमानदारी है
लूट का अखिल भारतीय कार्यक्रम
का सीधा प्रसारण जारी है
चलो मूक दर्शक बन रियलिटी शो देखते हैं
क्या फर्क पड़ता है
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