14 July, 2013

मैं भी तो हूँ दोषी






झूठ ज़ोर से बोलके 
सच को दिया दबाय 
सत्ता के गलियारे 
में तो मचा  है हाय हाय 
देश का बंदरबांट हो रहा 
नित योजना नयी बना के 
जनता को ठग रहे निरंतर 
सब्ज़ बाग़ दिखलाके 
समाचार भी सही कहाँ है 
हावी हैं सताधारी 
छद्म सेक्युलर कहलाने की 
होड़ में मारामारी 
जो सरकार को था करना 
अब न्यायालय करती है 
फिर भारत निर्माण का 
कैसे ये दंभ भरती है 
जल जंगल ज़मीन का सौदा 
अन्धाधुन है जारी 
देश विकास के पथ पर है 
कहते आंकड़े हैं सरकारी 
हम तो बस युहीं मौन हैं 
पर अब चुभती खामोशी  
अब लगता मुझको भी है 
की मैं भी तो हूँ दोषी 




 




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