किसके हांथों है बागडोर
लगता यूँ देश चलता हो
बाबा अली उसके असंख्य चोर
ये अली बाबा हैं मूक बधिर
न कुछ सुनते न बोलते हैं
बीन हाँथ किसी और के है
ये सर्प के भाँती डोलते हैं
योजना आयोग भी इनका है
चोरों के दाढ़ी तिनका है
जो सपने झूठे दीखा रहे
ज्ञात नहीं वो किनका है
हो रही गरीबी दूर यहाँ
जनता बस है मजबूर यहाँ
भारत निर्माण है जोरों पर
तुम छिडकते रहना नमक युहीं
मेरे घाव और फोड़ों पर ....
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