ज़ीगर मा बड़ी आग है ,तो बीड़ी जलालो भाई
किसी के खुशियों को क्यूँ जलाते हो
जख्म भी देते हो नासूर भी बनाते हो
और फिर बाद में मलहम भी लगाते हो
पर इस क्रम में कोई विश्वास खो देता है
किसी का अंतर्मन रो देता है
कोई मौन हो जाता है कोई गला फाड़ चिल्लाता है
तुम्हारे अंदर की आग कहीं धैर्य न दे किसीका तोड़
आक्रोश हम में भी है, हो जाए कहीं जो भंडाफोड़
याद रहे कभी हमारा भी वक्त आएगा
तब देखना है की तुम्हारे जख्मो पर कौन मलहम लगायेगा...........
किसी के खुशियों को क्यूँ जलाते हो
जख्म भी देते हो नासूर भी बनाते हो
और फिर बाद में मलहम भी लगाते हो
पर इस क्रम में कोई विश्वास खो देता है
किसी का अंतर्मन रो देता है
कोई मौन हो जाता है कोई गला फाड़ चिल्लाता है
तुम्हारे अंदर की आग कहीं धैर्य न दे किसीका तोड़
आक्रोश हम में भी है, हो जाए कहीं जो भंडाफोड़
याद रहे कभी हमारा भी वक्त आएगा
तब देखना है की तुम्हारे जख्मो पर कौन मलहम लगायेगा...........
No comments:
Post a Comment