07 July, 2013

महाबोधी में आतंक








फिर रोया मन देखके महाबोधी में  आतंक 
पोत गया माथे पे देश के फिर से कोई कलंक 
जारी है नेताओं का खेद शोक संदेष 
रंगे सियारों को पहचानो छिपे बदल के भेष 
छिपे बदल के भेष देश का कर रहे  बंटाधार 
सत्ता इनके हांथों में यही बने सरकार 
यही बने सरकार रो रही भारत माता 
वन्दे मातरम् गाये जो कोमुनल हो जाता 
यहाँ वही सेकुलर जो तुस्टीकरण करेगा 
क्या मौन रहे युहीं हम जबतक अपना कोई नहीं मरेगा 
नम  आँखें हैं मेरी और बोझिल ये मन है 
कैसा है राष्ट्र कैसा ये  जन गन मन है 

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