फिर रोया मन देखके महाबोधी में आतंक
पोत गया माथे पे देश के फिर से कोई कलंक
जारी है नेताओं का खेद शोक संदेष
रंगे सियारों को पहचानो छिपे बदल के भेष
छिपे बदल के भेष देश का कर रहे बंटाधार
सत्ता इनके हांथों में यही बने सरकार
यही बने सरकार रो रही भारत माता
वन्दे मातरम् गाये जो कोमुनल हो जाता
यहाँ वही सेकुलर जो तुस्टीकरण करेगा
क्या मौन रहे युहीं हम जबतक अपना कोई नहीं मरेगा
नम आँखें हैं मेरी और बोझिल ये मन है
कैसा है राष्ट्र कैसा ये जन गन मन है
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