परिभाषा गरीब की
निर्धनता से नहीं आंकड़ों में खोई होती है
सच इतना है की वातानुकूलित कमरे में कोई
योजना आयोग इसके जहरीले बीज़ बोती है
और तब जो मिथ्या सत्य का रूप युहीं ले लेती है
उसमे गरीबों की संख्या निरंतर घटती जाती है
हम विकास के नए आयाम तय करते हैं
पर जिनके थाली से गायब हुई रोटी
वो इन आंकड़ो से डरते हैं
डरते हैं की कैसी सरकार है
जो आज़ादी के वर्षों बाद
खाद्य सुरक्षा की बातें करती है
यथार्थ तो ये है की जनता
कुपोषण और भूख से पल पल मरती है
उस वर्ग का शायद ही कोई प्रतिनिधी
उन कमरों तक पहुँच पाता है
जहाँ गरीबी नहीं अपितु गरीबों को
हटाने का षड्यंत्र रचा जाता है .
निर्धनता से नहीं आंकड़ों में खोई होती है
सच इतना है की वातानुकूलित कमरे में कोई
योजना आयोग इसके जहरीले बीज़ बोती है
और तब जो मिथ्या सत्य का रूप युहीं ले लेती है
उसमे गरीबों की संख्या निरंतर घटती जाती है
हम विकास के नए आयाम तय करते हैं
पर जिनके थाली से गायब हुई रोटी
वो इन आंकड़ो से डरते हैं
डरते हैं की कैसी सरकार है
जो आज़ादी के वर्षों बाद
खाद्य सुरक्षा की बातें करती है
यथार्थ तो ये है की जनता
कुपोषण और भूख से पल पल मरती है
उस वर्ग का शायद ही कोई प्रतिनिधी
उन कमरों तक पहुँच पाता है
जहाँ गरीबी नहीं अपितु गरीबों को
हटाने का षड्यंत्र रचा जाता है .
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