04 August, 2018
25 July, 2018
24 July, 2018
जब हनुमान के अंदर पवनपुत्र सोता है
ज़ंजीर लोहे की हो या सोने की
जरूरत है क्या बेवजह उसे ढोने की
विचारों को अगर बंधक युहीं बनाओगे
मुझे ये खेद है फिर कैसे तुम उड़ पाओगे
पंख हो ज्ञान न हो, तो हनुमान भी उड़ पाते नहीं
जबतक आके कोई जामवंत ,स्मरण कराते नहीं
कृपा बरसती जहाँ क्या करोगे छाता का
बस एक संकेत चाहिए उस विधाता का
खुल के भीगना जरूरी होता है
जब हनुमान के अंदर पवनपुत्र सोता है
21 July, 2018
17 July, 2018
#WorldEmojiDay
#WorldEmojiDay
😏😐😓😔😤😣😎😊😋😌😆
कैद हैं समस्त भाव एक प्रतीक (इमोजी) में
अब प्रेम, ख़ुशी, दुःख , दर्द एक चिन्ह मात्र हैं
मेरे विचार से हम सभी दया के पात्र हैं
न हंसना है न रोना है
ना ही नाच के ख़ुशी को अभिव्यक्त करना है
बस पीला सा एक चिन्ह से सब व्यक्त करना है
15 July, 2018
न गंगा का न देश का
न गंगा का न देश का
कोई भी पार्टी न दल है
ये शोर कोलाहल
राजनैतिक दल दल है
सन सैतालिस से लेके आज तक
माँ ने सहा अपमान
अब तो कर्म से अपने दो बेटे होने का प्रमाण
कोई भी पार्टी न दल है
ये शोर कोलाहल
राजनैतिक दल दल है
सन सैतालिस से लेके आज तक
माँ ने सहा अपमान
अब तो कर्म से अपने दो बेटे होने का प्रमाण
11 July, 2018
10 July, 2018
09 July, 2018
चाय पे चर्चा
कुछ बात जो मैंने कही नहीं, कुछ बात जो तुमने सुना नहीं
चलो कहीं अकेले मिलते हैं ,एक ताज़ी चाय की प्याली पर
कोई अंतर्द्वंद न शेष रहे, जो उपजे मतभेद ख्याली पर
चलो कहीं अकेले मिलते हैं ,एक ताज़ी चाय की प्याली पर
कोई अंतर्द्वंद न शेष रहे, जो उपजे मतभेद ख्याली पर
07 July, 2018
Happy birthday MSD
जिसके अस्तित्व के सामने दुनिया बौनी है
ऐसे व्यक्तित्व के महेंद्र सिंह धोनी हैं
रचा इतिहास वर्तमान और भविष्य दिया
खेल को खेल से बड़ा बहुत परिदृश्य दिया
ऐसे व्यक्तित्व के महेंद्र सिंह धोनी हैं
रचा इतिहास वर्तमान और भविष्य दिया
खेल को खेल से बड़ा बहुत परिदृश्य दिया
06 July, 2018
नमामि गंगे
सारांश ढूंढ़ता रहा मैं उस कहानी से
आचमन न कर सका गंगा के पानी से
गंगोत्री से लेकर गंगासागर तक
हालत माँ की देख कर भीगे रहे पलक
गंगा तो मैली हो गयी सबके हाँथ रंगे हैं
बस युहीं रहो कहते की नमामि गंगे है
03 July, 2018
सेलिब्रिटी हैं तो क्या , गुनाह गुनाह नहीं है
कोई बायोपिक आपके समस्त पाप धो देगा
जनता माफ़ कर देगी, पर ख़ुदा तो रो देगा
सेलिब्रिटी हैं तो क्या , गुनाह गुनाह नहीं है
करते रहो महिमामंडन परवाह नहीं है
02 July, 2018
तीन ताल
जन्म और मृत्यु के मध्य जो अंतराल है
जीवन के मधुर संगीत का तीन ताल है
अगर हो बोध तो फिर बस माधुर्य है लय है
नहीं तो कोलाहल है ,संशय है और भय है
29 June, 2018
28 June, 2018
कोई हार कर भी छोड़ जाता गहरा छाप है
वैसे तो जीत हार का क्रम अनूठा है
सच है तो बस अनुभव, जो शेष झूठा है
मैदान-ए-जंग जीत कर, कोई करता विलाप है
कोई हार कर भी छोड़ जाता गहरा छाप है
सच है तो बस अनुभव, जो शेष झूठा है
मैदान-ए-जंग जीत कर, कोई करता विलाप है
कोई हार कर भी छोड़ जाता गहरा छाप है
27 June, 2018
वर्तमान के देहरी पर देश बाट है जोह रहा
क्यों हर घटना में तुम हरदम रंग मज़हबी भरते हो
जब भी मिलता मौका है तो रटा रटाया पढ़ते हो
किंकर्तव्यविमूढ़ होकर वो चेहरा स्याह कर लेता है
फिर अपने अंदर ही अंदर घुट घुट जीता मरता है
वर्तमान के देहरी पर देश बाट है जोह रहा
ये बिखंडन की राजनीति से मेरा हरदम विद्रोह रहा
जब भी मिलता मौका है तो रटा रटाया पढ़ते हो
किंकर्तव्यविमूढ़ होकर वो चेहरा स्याह कर लेता है
फिर अपने अंदर ही अंदर घुट घुट जीता मरता है
वर्तमान के देहरी पर देश बाट है जोह रहा
ये बिखंडन की राजनीति से मेरा हरदम विद्रोह रहा
26 June, 2018
पत्रकारिता किया कलंकित बेच के बुद्धि विवेक
नहीं काटता कौआ है
बोला झूठ धड़ल्ले से
जो बात थी बिलकुल टुच्ची सी
ब्रेकिंग न्यूज़ बनाया हल्ले से
फिर किया व्यक्त है खेद मुझे
ये समाचार था फेक
पत्रकारिता किया कलंकित
बेच के बुद्धि विवेक
24 June, 2018
समाचार खो गया है
समाचार खो गया है
अब तो बस ब्रेकिंग न्यूज़ है
जनमानस पूर्णतः कंफ्यूज है
विश्वास अब ओपिनियन है
आर्गेनिक कुछ भी नहीं
न्यूज़ है सिर्फ घंटों की वाद विवाद
सब में है मिला घृणा द्धेष का कृत्रिम खाद
अब तो बस ब्रेकिंग न्यूज़ है
जनमानस पूर्णतः कंफ्यूज है
विश्वास अब ओपिनियन है
आर्गेनिक कुछ भी नहीं
न्यूज़ है सिर्फ घंटों की वाद विवाद
सब में है मिला घृणा द्धेष का कृत्रिम खाद
23 June, 2018
प्रखर राष्ट्रवाद Tribute to Shyama Prashad Mukharjee
मुखर्जी जी के सम्मान के लिए मेरे मुख की अर्जी
प्रखर राष्ट्रवाद की परिकल्पना अधूरी है
जब धर्म पंथ आरक्षण राजनीति की धुरी है
क्या फर्क पड़ता है की दल कौन है, कौन दलपति
योग्यता बने आधार संभव है तब ही सद्गति
महिला पुरुष दिव्यांग बचे बूढ़े या हो नौजवान
समानता ही होगी इस महापुरुष को सच्चा सम्मान
माँ
जो कुछ भी मै बन पाया माँ
आशीर्वाद तुम्हारा है
तेरी शिक्षा संस्कार का
मुझको एक मात्र सहारा है
दुनिया के इस मायाजाल में
माँ मेरी प्रेरणा तू है
तू ही मेरी पाठशाला
तू ही मेरा गुरु है
22 June, 2018
#उद्देश्य
#उद्देश्य #SparkAPurpose
जीवन बिना उद्देश्य के
जंगल में खोना है
हर घटना पर शिकायत
नफरत के बीज़ बोना है
अगर न हो कोई उद्देश्य
तो चुनाव कीजिये
उछाल पत्थर
आसमान में घाव कीजिये
उद्देश्य है तो मंज़िल भी नज़र आ ही जायेगी
कामयाबी ललाट पर चन्दन लगाएगी।
दुखती रग
मैं लिखता हूँ आपसे संवाद के लिए
और लिखता हूँ दर्द से निजात के लिए
कलम उठता हूँ मैं, होशो हवास में
कागज़ पे भटकता हूँ सुकून के तलाश में
कभी कहानी, काव्य कभी , एक सूक्ति है
सहारा शब्दों का लेता हूँ , जब कोई रग जो दुखती है
21 June, 2018
योग
योग माध्यम है अपने ही विस्तार का
योग यात्रा है मस्तिष्क से ह्रदय की तरफ
योग कड़ी है आंतरिक और वाह्य संसार का
योग है तो है अस्तित्व के मायने
जो कराये ये बोध, आखिर मैं हूँ कौन
योग व्यायाम से परे वो आयाम है
जिसकी जननी है शब्दों के पीछे की मौन
20 June, 2018
जीवन की बात
किसान की बात हो गयी
मन की बात हो गयी
अब जीवन की बात हो जाए
apps पेड़ नहीं लगायेंगे
नाहीं नदियों को पावन बनाएंगे
ट्विटर फेसबुक whatsapp सांस नहीं लेते
फेफड़े में जलन हमारा और आपका है
समय उत्सव का नहीं विलाप का है
Sustainability is the key
मन की बात हो गयी
अब जीवन की बात हो जाए
apps पेड़ नहीं लगायेंगे
नाहीं नदियों को पावन बनाएंगे
ट्विटर फेसबुक whatsapp सांस नहीं लेते
फेफड़े में जलन हमारा और आपका है
समय उत्सव का नहीं विलाप का है
Sustainability is the key
19 June, 2018
देश को ऐसा जीवंत सँविधान चाहिए
रोटी कपड़ा और मकान से परे
स्वास्थ शिक्षा अवसर भी समान चाहिए
आरक्षण अगर देना हो आधार आर्थिक
जाति विशेष के लिए न विधान चाहिए
सिर्फ़ भाषणों में न हो सबका साथ और विकास
ज़मीन पर परिवर्तन का प्रमाण चाहिए
जो सबको साथ लेके अखंड राष्ट्र रच सके
देश को ऐसा जीवंत सँविधान चाहिए
नेता बक बक कर रहे, जनता तो मौन है
क्या शिक्षा लें आपसे
परे समझ के मेरे
लीडर नेता क्या कहें
हर ओर हैं डाले डेरे
धरना प्रदर्शन जोड़ तोड़
जात धरम समुदाय
छिड़ी बहस इतनी सी बस
मूरख कैसे बनाय
दल दलदल की राजनीति से
जनता है बेचैन
बाद विवाद के जाल में
बीते है दिन रैन
बात हमेशा एक की काबिल कौन है
नेता बक बक कर रहे, जनता तो मौन है
परे समझ के मेरे
लीडर नेता क्या कहें
हर ओर हैं डाले डेरे
धरना प्रदर्शन जोड़ तोड़
जात धरम समुदाय
छिड़ी बहस इतनी सी बस
मूरख कैसे बनाय
दल दलदल की राजनीति से
जनता है बेचैन
बाद विवाद के जाल में
बीते है दिन रैन
बात हमेशा एक की काबिल कौन है
नेता बक बक कर रहे, जनता तो मौन है
17 June, 2018
15 June, 2018
14 June, 2018
पूर्णविराम अर्धविराम नया आयाम
जीवन के यात्रा में अनेकों पड़ाव हैं
कभी रास्ते में धुप, कभी शीतल सी छाँव है
हर एक जो अंतराल है पूर्णविराम (fullstop) न बने
यही वो क्षण है जिसमे नयी योजना गढ़ें
जो अवरोध रुकावट है, उसे कौमा (comma) बनाइये
और उसके समक्ष प्रबल एक विचार लाइए
जीत हार दोनों से परस्पर की संधि है
और ये समझ की सीखने को क्या मिला हर बार
तभी सफलता का हर द्धार है हरिद्धार। .....
13 June, 2018
12 June, 2018
खुद को जितने के लिए ज्ञान चाहिए
हर प्रश्न का उत्तर है, सुझाव है हल है
बस एक समझ की वर्तमान का ही वो पल है
कुछ वक्त अपने साथ भी युहीं गुजारो
हो सके मन के झील में कंकड़ ही दे मारो
फिर जो विचारों का तरंग उठता हो ह्रदय में
द्रष्टा की भाँति दूर से उनको तुम निहारो
शिक्षा के सहारे दुनिया तो जीतोगे
पर खुद को जितने के लिए ज्ञान चाहिए
अंदर की यात्रा के हैं पृथक आयाम
बाहर की दुनिया को कागज़ी प्रमाण चाहिए।
11 June, 2018
अपनी समस्या को आउटसोर्स न करना
भय है, है दुःख,जिंदगी लाचार है वहाँ
कोशिश नहीं कोई की बदलाव कैसे हो
चिलचिलाती धुप में फिर छाँव कैसे हो
एक विचार काफी है बदलाव के लिए
बीज़ लगाते रहो नित छाँव के लिए
अन्धकार घोर हो निराश न होना
दीपक जलाते रहना संसार के लिए
हर एक जो प्रश्न है
उसका हल भी है मौजूद
बस इतनी सी है शर्त
दीपक बनो तुम खुद
कोई कृष्ण सारथी बन ,रथ ले के आएंगे
शंख पांचजन्य वो पुनः बजायेंगे
अपनी समस्या को आउटसोर्स न करना
अर्जुन की भाँती रणभूमि में योद्धा बन लड़ना
09 June, 2018
06 June, 2018
05 June, 2018
26 May, 2018
पत्रकारिता
सच क्या है , वो जो दिन रात दिखा रहे हो
या फिर वो जो चतुराई से छीपा रहे हो
अब तो आँख न देखती है , न सुनता कान है
जुबान पे चुप्पी है , अंतर्मन परेशान है
मन के अंदर भी होता है विस्फोट
और संवेदनाये घायल हो जाती हैं
अश्रुधारा निकल पड़ती हैं फायर ब्रिगेड की तरह
मारा जाता है विश्वास इस गतिविधि में रोज़
शायद यही है तुम्हारी समसामयिक पत्रकारिता की ख़ोज
कभी पक्ष और विपक्ष कभी
तील का ताड़ बनाते रहिये
बता के चोर, हर इंसान के दाढ़ी में
चुपके से तिनका कोई, युहीं घुसाते रहिये।
22 May, 2018
गाढ़ी कमाई
जरूरी तो नहीं हर रस्ता मंज़िल की दुहाई दे
हर ख़ुशी के मौके पे ,याद कोई मिठाई दे
कभी नम आखें बयां करती है इज़हारे ख़ुशी को
कोई बेटा जब अपनी माँ को गाढ़ी कमाई दे
हर ख़ुशी के मौके पे ,याद कोई मिठाई दे
कभी नम आखें बयां करती है इज़हारे ख़ुशी को
कोई बेटा जब अपनी माँ को गाढ़ी कमाई दे
21 May, 2018
13 May, 2018
12 May, 2018
10 May, 2018
07 May, 2018
27 April, 2018
लंबी अमावस को पूर्णिमा का इंतज़ार है
भेद तो उसने भी न किया
जिसने हम सब को बनाया
शाषन शोषण संबिधान
हमने क्या खोया पाया
बाज़ार बन गयी हुकूमत ,
गिरवी हुआ ईमान
शिक्षा स्वास्थ अधिकार जो मौलिक ,
सब कुछ खुली दुकान
सब कुछ खुली दुकान
चोर ही पहरेदार है
लंबी अमावस को पूर्णिमा का इंतज़ार है
हार व्यवस्था से जो गए हैं
उनकी अलग कहानी है
जात पात के नाम आरक्षण
बौद्धिक बेईमानी है
12 March, 2018
इंसान अपने कर कमल से घृणा के बीज़ बोता है
क्रोध में जो शब्द हों , उनपर भला अंकुश कहाँ
हम तो मात्र हैं सही , दुश्मन लगे सारा जहाँ
माता पिता परिवार घर सब कटघरे में हैं खड़े
मन कलुषित हो गया ,फिर कौन रंग उस पर चढ़े
आवेश में प्रतिसाद (रिस्पांस) पर प्रतिकर्म (रिएक्शन) हावी होती है
ऐसे ही वातावरण में बातें तनावी होती हैं
सच कहीं कोने में खड़ा एक द्रष्टा होता है
इंसान अपने कर कमल से घृणा के बीज़ बोता है।
22 February, 2018
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जब गिरती है कोई गगन चुम्बी इमारत तब साथ गिरते हैं आस पास के मकान भी और धुल चाटती है ऐसे में ईमानदारी की झोपड़ी इसे सामूहिक निषेध कहते हैं इसी...
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जीवन एक संघर्ष है मैंने सुना है अनेको के मुख से और इस दौड़ में इंसान दूर हो जाता है सुख से शेष रह जाता है तनाव और अस...
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जब भी अकेलापन आपको सताएगा परिवार ही उस समय पे काम आएगा रह जायेंगी उपलब्धियाँ दीवार पर टंगी जब मायाजाल आपको ठेंगा दिखायेगा...