कैसे होगा जीना अब मन तू ही मुझे बतादे
लम्बी निद्रा से मन अब तो झखझोर जगादे
खोल दे आँखे ऐसेकी फिर नींद जाए आँखों से भाग
चिंगारी भी बुझ जाए न बाकी रहे क्रोध की आग
ruku तभी मैं जब मिल जाए लक्ष्य मुझे जीवन का
चुकता कर लू मैं हिसाब जीवन के एक छन छन का
कर लू आशाएं पुरी जो अब तक नही तलासी
अपने अरमानो को अब चड़ने न दूंगा फांसी
हर कुत्ते का दिन होता है ऐसे मैंने सुना था
अब वो रास्ता मैं जाऊँगा मैंने जिसे चुना था
जो थी संभावनाएं वो फिरसे जाजगी मन में
जो थी संभावनाएं वो फिरसे जाजगी मन में
लहरें खुशी की उठ रही है अब तो मेरे जेहन में .
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