आज मन के परे जाना है
और ये मन को भी बताना है
की ये तेरा रोज के नाटक से मैं परेशान सा हूँ
अपने ही सहर में मैं अनजान सा हूँ
पता नही तू कभी खुश भी क्या हो पायेगा
गर तू चुप हो तो मेरा भला हो जाएगा
पर मैं जानता हूँ तू बना नादान सा है
मेरे जो पुरे न हुए वो अरमान सा है
मेरी खुशी के खातिर तुम्हे चुप होना है
मैंने पाया है क्या तुझसे जो अब वो खोना है
तेरा चुप होना ही सच में मेरी आजादी है
ये वो बात है मैंने तुमको भी बतलादी है
तो मेरे मन तेरे मरने का इंतज़ार मुझे
मौत के बाद वचन है न आंसू आयेंगे
येही बलिदान मेरे जीवन में खुशी लायेंगे .
No comments:
Post a Comment