28 January, 2009

मौन की भी आवाज होती है ......................


मौन की भी आवाज होती है

जब तुम्हारी ख़ुद से बात होती है

जानते हो ये आवाज़ तुम्ही सुनते हो

पर बाहरी शोर इतना जयादा है

उसी में अपने सपने बुनते हो

तुम खो जाते हो इसकदर से तलाश में अपनी

की भूल जाते हो खोज रहे थे क्या तुम

तरस रहा है वो की बात तुमसे हो जाए

चलो एकबार मुलाक़ात तुमसे हो जाए

बतादे वो भी की दुःख की दावा उसी के पास

तुम भटक लो , एक दिन होगा तुमको ये एहसास

मैं हूँ वही जो सचमुच तेरा सहारा हूँ

तेरी भटकी हुई कस्ती का मैं किनारा हूँ


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