10 January, 2009

परिभाषा काव्य की


मौन से प्रतिस्फुटित शब्दों की श्रंखला

जब भावनाओ के बाँध तोड़ जाती है

मेरे विचार से वही काव्य कहलाती है

जब जज्बातों के चौखट से सजी शब्दों

की दुल्हन निकलती है

मेरे विचार से वही कविता में ढलती है

जब मन का आक्रोश तांडव करता है

और खंडित होता है वीवेक

तभी काव्य का होता है मस्तकाभिषेक

जब स्वयं कलम चलती है

कागज़ भी लिखवाने को मचलती है

तब जब कवि हृदय व्याकुल हो रोता है

मेरे विचार से वही काव्य होता है.



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