10 January, 2009

कभी तुम मुस्कुराते थे..............


कभी तुम मुस्कुराते थे तो बचपन याद आता था

कभी तुम गुनगुनाते थे तो आ जाती थी उमंग

पर तुम खामोश हो गए तुम्हारी याद रह गई

मन में अधूरी बहुत सी संवाद रह गई

लबों से शब्द गुम गए जुबान भी जैसे सिल गई

कहाँ हो तुम चले आओ मुझे कुछ बात कहना है

जो भी हो अब तुम्हारे संग रहना है

चले आओ की अब मैं यहाँ बिल्कुल अनाथ हूँ

मुझे मन में है ये यकीं की मैं तेरे साथ हूँ

अगर तुम आओगे यहाँ तो मुझको माफ़ कर देना

मेरे वजूद का ज़रा उचित इन्साफ कर देना.



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