कैकयी को भरत के राज्याभिषेक
के साथ राम का वनवास चाहिए
मुद्दा यही है आज भी की राम का वनवास है
भरत उदास है
शायद कैकयी की आँखे भी नम है
दसरथ असहाय हैं
पर क्या मंथरा कोभी कोई गम है
शायद नही
आग लगादी ऐसे की लंका तो बाद में
अयोध्या पहले जल गई
मुझे आज यही बात खल गयी
मंथरा मेरा तुमसे है एक अनुरोध
बख्श दो मेरा ये संसार
मत करो कुटिल दिमाग का दुरूपयोग
मैं जानता हूँ इतिहास अपने आप को दुहराती है
पर याद रखना मेरे रामायण में मंथरा नही आती है....
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