15 January, 2009

सुपेरिओरिटी काम्प्लेक्स..............



फूलों में कहाँ अभिमान होता है

गुलाब को होती कहाँ सुपेरिओरिटी काम्प्लेक्स

कहाँ करता है गेंदे का फूल महसूस छोटा अपने को

सभी मिलकर के पुरी करते हैं बगिया के सपने को

तभी एक माली आता है , बहुत वो मुस्कुराता है

उन्ही फूलों को गूथ कर एक माला बनता है

फूल मिलते हैं फूल से और फैल जाती है खुशबू

नहीं लड़ते वो कभी ,मैं हु कौन कौन तू

पर इंसान को देखिये सभी आपस में लड़ रहे

अब कौन माली उनसे आ कर ये कहे

की हर इंसान जैसे अलग फूल होता है

इश्वर के बगीचे का यही मूल होता है

क्यो चाहते हो कमल को गुलाब बनाना

हर फूल तो मेरी नज़र एक फूल होता है .





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