26 January, 2009

दोस्ती का अंदाज़ ही निराला है ...............

मेरे दोस्तों में तुम सबसे अलग हो
क्योंकि तुम्हारे दोस्ती का अंदाज़
ही निराला है
दिखाते हो तुम की तुम्हारे वजह से
लोगों का अस्तित्व है
सीमायें तय करते हो तुम
देखना कहीं तुम्हारी धूर्तता
तुम्हे न करदे ghutna टेकने पे मजबूर
भूलना नही की तुम भगवन नही
कब तक करते रहोगे लोगो का अपमान
जानता हु मैं तुम हिन् भावना के शिकार हो
एक दिन हिसाब सारे देने होंगे तुम्हे
तब शायद मेरे कंधे की जरूरत हो
ध्यान से देखना मुझे वहां पाओगे
क्या हुआ जो हर वक्त किया जलील मुझे
और बनाया मोहरा
सवाल इतने हैं की जवाब न दे पाओगे.



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