22 January, 2009

कभी दिल में जो लहर उठती है ...............


कभी दिल में जो लहर उठती है


भावनाओं के बाँध तोड़ते हुए


आँखों से आंसू बन के फूटती है


आज करता है मन की रो लू मैं


जो हैं राज गहरे खोलू मैं


मेरा जीवन ही बड़ा उलझा है


और मेरे रास्ते आसन नहीं


पर जो चाहता था मैं बनना


मेरे दिल तू उससे नादान नहीं


फिर क्यूँ होता बार बार है ये


मैं चौराहे पर ख़ुद को पाता हूँ


ये जो करते हो बार बार तुम


तेरे करतूतों से मैं तो सहम जाता हूँ


मुझे आजाद कर दे मन मेरे


ताकि मैं खुल के मुस्कुरा तो सकूँ


मेरे अस्तित्व का जो हासिल है


उस लक्ष्य को इस जनम में पा तो सकूँ








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