14 January, 2009

जो सच है उसे स्वीकारना जरुरी है................



जो सच है उसे स्वीकारना जरुरी है

झूठ के सहर में तो जिन्दिंगी अधूरी है

कैद की जंजीरें हो लोहे या फिर सोने की

कैद में रहना एक मजबूरी है .

1 comment:

  1. भई वाह!!
    बहुत अच्छा लिखते है जीत भाई आप.
    छोड़ ही जाते है सबके दिलॉ मे अपनी छाप,

    आपकी लेखनी मॅ सुर इंकलाबी है.
    शब्दॉ-भावनाऑ का मेल लाजवाबी है.

    दुआ क्या दूँ इसके सिवा आपको ए साहिबे-जनाबी,
    कदम चूमे आपके ज़िन्दगी भर कामयाबी.

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