तुम कहते हो मैं किसी काम का नही 
कुछ आता नही मुझे 
मैं करता हूँ स्वीकार 
अपने अज्ञान का ज्ञान है मुझे 
पर तुम भी सर्वज्ञाता नहीं 
सुनो संतान मैं भी हू उसी इश्वर का 
जिसके तुम हो 
फिर क्यूँ तुम बार बार मेरे अंतरात्मा को ललकारते हो
अपशब्दों के तीर निरंतर मारते हो 
करते हो हर समय मेरा अपमान 
दिखाना चाहते हो मुझे निचे 
तुम्हारे इन सभी करतूतों से मुझे बल मिलता है 
सुनो इसे जारी रखना 
मैं तुम्हारे संकुचित सोंच से प्रेरणा लेता हूँ 
तुम्हारे अपशब्दों के बदले तुम्हे शुभकामना देता हूँ .
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