12 January, 2009

आंखों में फिर नमी है


कुछ तो कमी है

तुम्हारे आंखों में फिर नमी है

क्या कोई है जो तुम पर हावी है

तुम्हारे दुःख की तेरे पास ही तो चाभी है

तोड़ो चुप्पी की कहीं चेतना न लुट जाए

तुम्हारे धैर्य का घडा न कहीं फुट जाए

कहीं अग्नि न क्रोध की जलादे प्यारा चमन

तोड़ो चुप्पी लुट जाए नही चैनो अमन

वो जो भी है तुम न धीरज खोना

आंसू आए तो भी तुम मत रोना

जवाब उसको भी देना है खुदा के घर में

लग चुकी है घुन तो उसके भी जड़ में.

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