कुछ तो कमी है 
तुम्हारे आंखों में फिर नमी है 
क्या कोई है जो तुम पर हावी है 
तुम्हारे दुःख की तेरे पास ही तो चाभी है 
तोड़ो चुप्पी की कहीं चेतना न लुट जाए 
तुम्हारे धैर्य का घडा न कहीं फुट जाए 
कहीं अग्नि न क्रोध की जलादे प्यारा चमन
तोड़ो चुप्पी लुट जाए नही चैनो अमन
वो जो भी है तुम न धीरज खोना
आंसू आए तो  भी तुम मत रोना 
जवाब उसको भी देना है खुदा के घर में
लग चुकी है घुन तो उसके भी जड़ में. 
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